इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था। वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं, जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी की शिक्षा-दीक्षा विश्वभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई, जिसमें शांति निकेतन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय शामिल हैं।
कंटेंट की टॉपिक
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
इंदिरा गांधी का राजनीति में प्रवेश उनके पिता के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपनी भूमिका को निभाते हुए धीरे-धीरे अपने लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। 1966 में, जब लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ, तो इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री चुना गया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल 1966 से 1977 तक रहा और दूसरा कार्यकाल 1980 से 1984 तक। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और कई योजनाओं का शुभारंभ किया। उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य ‘हरित क्रांति’ था, जिसने भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया।
उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण भी किया और गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाईं। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी नेतृत्व क्षमता ने भारत को विजय दिलाई और इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
कठिन समय और विवाद
इंदिरा गांधी का कार्यकाल केवल सफलताओं से भरा नहीं था। 1975 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें चुनाव में धांधली का दोषी पाया और उनके प्रधानमंत्री पद को अवैध घोषित किया। इसके बाद उन्होंने देश में आपातकाल घोषित कर दिया, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है। इस दौरान नागरिक अधिकारों का हनन हुआ और उनके शासन को तानाशाही के रूप में देखा गया।
राजनीतिक वापसी और दूसरी पारी
1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनावों में इंदिरा गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन 1980 में उन्होंने एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली। उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, लेकिन इस बार उनके सामने पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन का संकट खड़ा हो गया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार और हत्या
पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को खत्म करने के लिए इंदिरा गांधी ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का आदेश दिया, जिसके तहत भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकाला। इस ऑपरेशन के दौरान कई निर्दोष लोग भी मारे गए, जिससे सिख समुदाय में गहरा आक्रोश उत्पन्न हुआ।
31 अक्टूबर 1984 को, इंदिरा गांधी की उनके अपने ही सुरक्षा गार्डों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना भारतीय राजनीति और समाज में एक बड़ी घटना थी और इसके बाद देश में दंगे भड़क उठे।
व्यक्तित्व और विरासत
इंदिरा गांधी एक सशक्त और दृढ़ निश्चयी नेता थीं। उन्होंने अपने नेतृत्व में भारत को कई कठिन दौर से निकाला और विकास के नए आयाम स्थापित किए। वे एक करिश्माई व्यक्तित्व की धनी थीं, जिन्होंने भारतीय राजनीति को न सिर्फ प्रभावित किया, बल्कि उसे नई दिशा भी दी।
उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति में जीवित है। उनके निर्णय और नीतियाँ आज भी अध्ययन और चर्चा का विषय हैं। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और वे हमेशा भारतीय राजनीति की एक प्रमुख हस्ती के रूप में याद की जाएंगी।
निष्कर्ष
इंदिरा गांधी का जीवन संघर्ष और सफलता का एक अनूठा उदाहरण है। वे एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने भारतीय राजनीति में न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि उसे एक नई दिशा भी दी। उनकी मृत्यु के बाद भी उनका योगदान और उनकी स्मृति आज भी भारतीय जनमानस में जीवित है। इंदिरा गांधी का जीवन और उनके कार्य हमें यह सिखाते हैं कि दृढ़ निश्चय और साहस के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
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