कंटेंट की टॉपिक
कुल्लू का दशहरा पर रोचक निबंध
भारत एक ऐसा देश है, जहां हर राज्य और क्षेत्र अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं को गर्व के साथ मनाते है। इन्हीं परंपराओं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध दशहरा पर्व, जिसे ‘कुल्लू दशहरा’ के नाम से जाना जाता है।
यह दशहरा न केवल हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए बल्कि पूरे भारत में एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व अपने भव्यता, ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्त्व के लिए जाना जाता है, और इसकी अनूठी विशेषताएँ इसे अन्य दशहरा उत्सवों से अलग बनाती हैं।
कुल्लू दशहरा का ऐतिहासिक महत्त्व
कुल्लू का दशहरा 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत कुल्लू के राजा जगत सिंह द्वारा की गई थी। कथा के अनुसार, राजा जगत सिंह ने एक ब्राह्मण से उसके बहुमूल्य रत्न प्राप्त किए थे, लेकिन बाद में राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी इस गलती का प्रायश्चित करने के लिए भगवान रघुनाथजी (श्रीराम) की मूर्ति कुल्लू लाकर उनकी पूजा-अर्चना करने का निर्णय लिया। तभी से यह पर्व कुल्लू में मनाया जाने लगा और भगवान रघुनाथजी को कुल्लू के अधिष्ठाता देवता के रूप में पूजा जाने लगा।
कुल्लू दशहरा की विशेषताएँ
कुल्लू दशहरा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह विजयदशमी के दिन से शुरू होकर पूरे सात दिन तक चलता है। जहां बाकी भारत में दशहरा का उत्सव रावण के पुतले को जलाने के साथ समाप्त हो जाता है, वहीं कुल्लू में इस दिन से उत्सव की शुरुआत होती है। यहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता, बल्कि यह त्योहार भगवान रघुनाथजी की पूजा और उनकी शोभायात्रा से आरंभ होता है।
भगवान रघुनाथजी की रथयात्रा
कुल्लू दशहरा का प्रमुख आकर्षण भगवान रघुनाथजी की भव्य रथयात्रा होती है। इस रथयात्रा में भगवान रघुनाथजी की मूर्ति को एक सजाए गए रथ में बैठाया जाता है, जिसे सैकड़ों लोग रस्सियों से खींचते हैं। यह रथयात्रा कुल्लू के ढालपुर मैदान से शुरू होती है और इसमें हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए सैकड़ों देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी शामिल होती हैं। यह दृश्य अत्यंत भव्य और धार्मिक आस्था से भरपूर होता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेलों की रौनक
कुल्लू दशहरा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें हिमाचली लोक संगीत, नृत्य और नाटकों का प्रदर्शन होता है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ देशभर के कलाकार भी भाग लेते हैं। इसके साथ ही, ढालपुर मैदान में लगने वाले विशाल मेले में हस्तशिल्प, खाने-पीने की वस्तुएं और विभिन्न प्रकार के खेल-तमाशे लोगों का मनोरंजन करते हैं।
कुल्लू दशहरा का धार्मिक महत्त्व
कुल्लू दशहरा धार्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पर्व भगवान राम के जीवन से संबंधित विभिन्न घटनाओं और उनकी लीलाओं का प्रतीक है। इस दौरान लोग भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं और अपने जीवन में धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना के लिए प्रेरित होते हैं। कुल्लू दशहरा यह संदेश देता है कि जीवन में सत्य की विजय और धर्म की स्थापना ही सबसे महत्वपूर्ण है।
पर्यावरणीय पहलू
कुल्लू दशहरा का पर्व केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व ही नहीं रखता, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस पर्व के दौरान रावण का पुतला नहीं जलाया जाता, जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। इसके साथ ही, इस पर्व के दौरान स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाता है, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने में सहायक होती है।
निष्कर्ष
कुल्लू का दशहरा भारत के विविध सांस्कृतिक धरोहरों में से एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक आस्था, सामूहिकता और सामाजिक एकता का भी संदेश देता है। कुल्लू दशहरा का यह भव्य और पवित्र उत्सव हमें हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों के प्रति गर्व का अनुभव कराता है और हमें अपने जीवन में सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
कुल्लू दशहरा का पर्व इस बात का प्रमाण है कि भारतीय समाज में त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते, बल्कि वे समाज को जोड़ने, संस्कृति को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को हमारी समृद्ध धरोहर से परिचित कराने का एक माध्यम भी होते हैं।
इसे भी पढ़ें:
- Karwa Chauth Essay in Hindi: करवा चौथ पर हिन्दी निबंध
- Chhatrapati Shivaji Maharaj Nibandh in Hindi
- बसंत पंचमी पर निबंध हिंदी में
- धनतेरस पर निबंध – Dhanteras Par Nibandh
- गुड़ी पड़वा पर रोचक निबंध हिन्दी में
- फादर्स डे पर रोचक हिन्दी निबंध
- विश्व योग दिवस पर निबंध
- Bhagat Singh Par Nibandh
- चंद्रशेखर आजाद पर निबंध : Chandra Shekhar Azad Essay in Hindi
- विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध
- महात्मा गांधी पर लेख हिंदी में
- रंगों के त्योहार होली पर हिंदी में निबंध (Holi Essay in Hindi)
Leave a Reply