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Home » शेषनाग और विष्णु भगवान की कहानी

शेषनाग और विष्णु भगवान की कहानी

August 9, 2024 by Antesh Singh Leave a Comment

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शेषनाग और भगवान विष्णु की कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शेषनाग, जिसे शेषनाथ भी कहा जाता है, एक विशाल नाग (सर्प) है जो भगवान विष्णु के भक्त और सहयोगी के रूप में जाना जाता है। उनकी कथा सृष्टि, धर्म, और भगवान विष्णु के साथ उनके गहरे संबंधों को दर्शाती है।

कंटेंट की टॉपिक

  • शेषनाग की उत्पत्ति
  • शेषनाग और भगवान विष्णु का संबंध
    • 1. शेषनाग की सेवा
    • 2. वासुकी और शेषनाग
    • 3. शेषनाग और श्री विष्णु के अवतार
  • कथा: शेषनाग और भगवान विष्णु
  • निष्कर्ष

शेषनाग की उत्पत्ति

शेषनाग, जो नागों के राजा और शक्तिशाली सर्पों के प्रमुख माने जाते हैं, का नाम संस्कृत शब्द “शेष” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “अवशेष” या “विषेष।” वे अनंत और अत्यधिक शक्तिशाली सर्प के रूप में माने जाते हैं, और उनका कार्य सृष्टि को संतुलित रखना और भगवान विष्णु की सेवा करना है।

शेषनाग और भगवान विष्णु का संबंध

1. शेषनाग की सेवा

भगवान विष्णु की पूजा में शेषनाग की विशेष भूमिका है। वह विष्णु के पलंग (आसन) के रूप में कार्य करते हैं। विष्णु जब विश्राम करते हैं, तो शेषनाग उनके नीचे विस्तरित होते हैं और उनकी कमर पर उनकी शांति और विश्राम सुनिश्चित करते हैं। यह दर्शाता है कि शेषनाग भगवान विष्णु के प्रति अपनी पूरी निष्ठा और समर्पण दिखाते हैं।

2. वासुकी और शेषनाग

शेषनाग और वासुकी, नागों के राजा के रूप में, पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण पात्र हैं। समुद्र मंथन के दौरान, वासुकी को मंथन माउंट के चारों ओर लपेटा गया था, जबकि शेषनाग ने विष्णु की सेवा की। शेषनाग ने समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु की रक्षा की और समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को ग्रहण किया।

3. शेषनाग और श्री विष्णु के अवतार

विष्णु के अवतारों में, शेषनाग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। विशेष रूप से, कृष्ण अवतार के दौरान, शेषनाग ने कश्यप के पुत्र बलराम के रूप में अवतार लिया और उनकी सहायता की। कृष्ण के काल में भी शेषनाग ने विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण दिखाया।

कथा: शेषनाग और भगवान विष्णु

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, शेषनाग और भगवान विष्णु के बीच एक गहरा और विशेष संबंध था। जब विष्णु ने सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए समुद्र मंथन किया, तो शेषनाग ने विष्णु की सेवा की। समुद्र मंथन के दौरान, विष्णु ने अमृत और अन्य रत्नों को प्राप्त करने के लिए देवताओं और दैत्यों को समुद्र मंथन करने की सलाह दी। मंथन के दौरान, विष्णु ने शेषनाग से सहायता ली, और शेषनाग ने विष्णु की रक्षा की और समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को ग्रहण किया, जिससे सृष्टि को बचाया जा सका।

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विष्णु के विश्राम के समय, शेषनाग ने उन्हें अपने विशाल फनों पर विश्राम कराया, और इस प्रकार वे विष्णु के अदृश्य समर्थन के रूप में कार्य करते हैं। यह संबंध विष्णु और शेषनाग के बीच एक अटूट और दिव्य बंधन को दर्शाता है।

निष्कर्ष

शेषनाग और भगवान विष्णु की कहानी सृष्टि, धर्म, और भक्ति की महत्वपूर्ण धारा को दर्शाती है। शेषनाग की विष्णु के प्रति भक्ति और सेवा उनकी पवित्रता और निष्ठा को दर्शाती है। उनकी कथा में भगवान विष्णु के साथ उनके अद्वितीय और पवित्र संबंध को समझा जा सकता है, जो सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने और धर्म की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Filed Under: Hindu Gods

About Antesh Singh

Antesh Singh एक फुल टाइम ब्लॉगर है जो बैंकिंग, आधार कार्ड और और टेक रिलेटेड आर्टिकल लिखना पसंद करते है।

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