हनुमान जी के 1008 नाम उनके विभिन्न गुणों, शक्तियों और विशेषताओं को दर्शाते हैं। इन नामों की उपासना से भक्तों को उनके जीवन में शक्ति, साहस, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यहां हम हनुमान जी के 1008 नामों को विस्तार से जानेंगे, जो उनके विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं।
- हनुमान – ‘हुन’ और ‘मान’ के संयोजन से निर्मित, इस नाम का अर्थ है ‘एक जो अपने भौंहों में ‘हुन’ का स्थान रखते हैं।’
- पवनपुत्र – वायु देवता के पुत्र, जो वायुदेव की संतान हैं।
- रामदूत – श्रीराम का दूत, जो राम के संदेशवाहक हैं।
- संकटमोचक – संकटों को दूर करने वाला, जो भक्तों के संकटों का नाशक है।
- बलधर – बल का धारण करने वाला, जो अपार शक्ति का स्वामी है।
- महावीर – महान वीर, जो अद्वितीय वीरता का प्रतीक हैं।
- अंजनीसुत – अंजनी का पुत्र, जो अंजनी और केसरी के पुत्र हैं।
- कीलमाला – कीलों की माला पहनने वाला, जो अपनी शक्ति और बल का प्रतीक है।
- सिद्धिदात्री – सिद्धियाँ प्रदान करने वाला, जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है।
- रघुकुलनायक – रघुकुल का नायक, जो रघुकुल का प्रमुख हैं।
- चिरंजीवी – अमर, जो अमरता का प्रतीक हैं।
- वृक्षमाला – वृक्षों की माला पहनने वाला, जो प्रकृति और उसके रक्षक हैं।
- मातृवत्सल – माताओं से प्रेम करने वाला, जो माताओं का सम्मान करता है।
- अशोकवृक्ष – अशोक वृक्ष के समान, जो अशोक वृक्ष की तरह शांति और सुख प्रदान करता है।
- धराधर – धरती का धारण करने वाला, जो पृथ्वी के रक्षक हैं।
- विद्याधर – विद्याओं का धारण करने वाला, जो ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक हैं।
- पुंडरीकाक्ष – कमल के समान आंखों वाला, जो सौंदर्य और दिव्यता का प्रतीक है।
- शिवसंकल्प – शिव के संकल्प से सम्पन्न, जो शिव की शक्तियों से युक्त हैं।
- कर्पूरगौर – कर्पूर के समान उज्ज्वल, जो प्रकाश और शुद्धता का प्रतीक हैं।
- शरणागतवत्सल – शरणागतों का प्रेमी, जो शरणागतों की रक्षा करता है।
- आञ्जनेय – अंजनी का पुत्र, जो अंजनी के गर्भ से जन्मे हैं।
- चंद्रमुख – चंद्रमा के समान मुख वाला, जो चंद्रमा की तरह उज्ज्वल और शीतल हैं।
- विविधदुखदायक – विभिन्न दुखों को दूर करने वाला, जो सभी प्रकार के दुखों का नाशक है।
- भूतनाथ – भूतों के नाथ, जो भूतों के राजा हैं।
- शिवसाधक – शिव की साधना करने वाला, जो शिव की पूजा और आराधना में पूर्ण है।
- सर्वसिद्धि – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला, जो सभी प्रकार की सिद्धियों का दाता है।
- वीरमूर्ति – वीरता की मूर्ति, जो वीरता और साहस का आदर्श हैं।
- दुर्गमचर – दुर्गम स्थलों पर यात्रा करने वाला, जो कठिन मार्गों पर भी यात्रा कर सकते हैं।
- अपराजित – अपराजेय, जो किसी भी प्रतिकूलता को पार कर सकते हैं।
- धृतकर्म – कर्मों को धारण करने वाला, जो अपने कर्मों में दृढ़ हैं।
- उमापुत्र – उमा का पुत्र, जो उमा के पुत्र हैं।
- कृष्णपाद – कृष्ण के चरणों के समान, जो कृष्ण की चरणों के समान पवित्र हैं।
- वायुपुत्र – वायु का पुत्र, जो वायुदेव के पुत्र हैं।
- शत्रुनाशक – शत्रुओं का नाशक, जो सभी शत्रुओं को समाप्त कर सकते हैं।
- लक्ष्मणप्राणदाता – लक्ष्मण की जान को बचाने वाला, जो लक्ष्मण को अमृत प्राप्त कराया।
- विजयध्वज – विजय का ध्वज, जो विजय का प्रतीक हैं।
- कौशलपुरुष – कौशल का प्रतीक, जो कौशल और चातुर्य के प्रतीक हैं।
- शिवप्रीत – शिव से प्रिय, जो शिव के अत्यंत प्रिय भक्त हैं।
- सप्ताश्वर – सात अश्वों वाला, जो सात अश्वों के समान तेजस्वी हैं।
- धर्मचारी – धर्म का पालन करने वाला, जो धर्म का पालन करता है।
- समर्थ – समर्थ और सक्षम, जो किसी भी कार्य को कर सकते हैं।
- रुद्रप्रिय – रुद्र से प्रिय, जो रुद्र के प्रिय भक्त हैं।
- त्रैलोक्यनाथ – त्रैलोक्य के नाथ, जो तीन लोकों के नाथ हैं।
- चरणारविंद – चरणों के कमल, जो श्रीराम के चरणों के समान पवित्र हैं।
- अनाथविनाशक – अनाथों का विनाशक, जो अनाथों की रक्षा करता है।
- दीप्तमालि – दीपक के समान, जो प्रकाशमान हैं।
- सप्तरिशीप्रिय – सप्तर्षियों से प्रिय, जो सप्तर्षियों के प्रिय भक्त हैं।
- सर्वरक्षक – सभी की रक्षा करने वाला, जो सभी जीवों की रक्षा करता है।
- उमापति – उमा का पति, जो उमा के पति हैं।
- धनुषधारी – धनुष धारण करने वाला, जो धनुष का धारणकर्ता हैं।
- सुग्रीवसखा – सुग्रीव का सखा, जो सुग्रीव के मित्र हैं।
- चौरसाहस – चौरस की तरह साहसिक, जो अत्यधिक साहस का प्रतीक हैं।
- आदित्यपुत्र – आदित्य का पुत्र, जो आदित्य के पुत्र हैं।
- सर्वदुष्टनाशक – सभी दुष्टों का नाशक, जो दुष्टों को समाप्त करता है।
- भैरवसंग – भैरव के संग, जो भैरव के साथ रहते हैं।
- मंगलमूर्ति – मंगल का मूर्ति, जो मंगलकारी और शुभ हैं।
- देवमूर्ति – देवताओं की मूर्ति, जो देवताओं की पूजा में स्थित हैं।
- पवनसुत – वायु के पुत्र, जो वायुपुत्र हैं।
- सिद्धिविशेष – विशेष सिद्धियों का धारणकर्ता, जो विशेष सिद्धियों से युक्त हैं।
- आत्मरक्षक – आत्मा की रक्षा करने वाला, जो आत्मा की रक्षा करता है।
- स्वामी – स्वामी, जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हैं।
- सत्यवादी – सत्य बोलने वाला, जो सत्य का पालन करता है।
- सपथविधायक – व्रत और प्रतिज्ञा करने वाला, जो प्रतिज्ञाओं का पालन करता है।
- कृष्णपादयुगल – कृष्ण के चरणों के समान, जो कृष्ण के चरणों से युक्त हैं।
- सुरमालिक – देवताओं की माला पहनने वाला, जो देवताओं की माला पहनते हैं।
- सर्पविप्रशांत – सर्पों के विष को शांत करने वाला, जो सर्पों के विष का नाशक हैं।
- शक्तिशाली – शक्ति से युक्त, जो अपार शक्ति और बल के स्वामी हैं।
- सप्तदिव्य – सात दिव्य गुणों वाला, जो दिव्यता के प्रतीक हैं।
- संग्रामवीर – युद्ध में वीर, जो युद्ध में अत्यंत वीरता का प्रदर्शन करते हैं।
- दिव्यध्यान – दिव्य ध्यान में संलग्न, जो दिव्य ध्यान में लगे रहते हैं।
- स्वर्णसंग – स्वर्ण के समान, जो स्वर्ण के समान चमकदार और पवित्र हैं।
- पथिक – पथिक, जो मार्ग पर चलने वाला हैं।
- नागप्रिय – नागों का प्रिय, जो नागों के प्रिय हैं।
- स्मृतिस्मरण – स्मृति का संचारक, जो स्मृति और याददाश्त का संचार करता है।
- संजीवनीदाता – संजीवनी देने वाला, जो संजीवनी प्रदान करता है।
- तपस्वी – तपस्वी, जो तपस्या और साधना में रत रहते हैं।
- संपूर्णविद्या – संपूर्ण विद्याओं से युक्त, जो सभी विद्याओं के ज्ञाता हैं।
- वृत्तिरक्षक – जीवन की रक्षा करने वाला, जो जीवन की रक्षा करता है।
- न्यायप्रिय – न्याय का पालन करने वाला, जो न्याय को आदर्श रूप में प्रस्तुत करता है।
- सर्वज्ञ – सर्वज्ञानी, जो सभी ज्ञान का धारक हैं।
- मायावीर – मायावी वीर, जो मायावी शक्तियों से युक्त हैं।
- अश्वध्वज – अश्व का ध्वज, जो अश्व का प्रतीक हैं।
- मृगनायक – मृगों का नायक, जो मृगों के रक्षक और नेता हैं।
- दातृ – दाता, जो दान और सहायता करने वाले हैं।
- सर्वरोगनाशक – सभी रोगों का नाशक, जो सभी प्रकार के रोगों को समाप्त करता है।
- गोपस्त्रीसुख – गोपियों के सुख का कारण, जो गोपियों के सुख का स्रोत हैं।
- धर्मपालक – धर्म का पालन करने वाला, जो धर्म का पालन करता है।
- चरणपादुकाधर – चरणों की पादुकाओं को धारण करने वाला, जो चरण पादुकाओं का सम्मान करता है।
- सर्पधारी – सर्पों को धारण करने वाला, जो सर्पों का धारणकर्ता हैं।
- सर्वसिद्धिदायक – सभी सिद्धियों को देने वाला, जो सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करता है।
- सर्वशक्ति – सभी शक्तियों से युक्त, जो अपार शक्ति का स्वामी हैं।
- विशालदृष्टि – विशाल दृष्टि वाला, जो दूरदर्शिता और व्यापक दृष्टि से युक्त हैं।
- शुभमंगल – शुभ और मंगलकारी, जो सभी कार्यों में मंगल और शुभता लाते हैं।
- विराटरूप – विराट रूप का धारणकर्ता, जो विराट और विशाल रूप में प्रकट होते हैं।
- सामर्थ्यशाली – अत्यधिक सामर्थ्य वाला, जो अपार सामर्थ्य और बल के स्वामी हैं।
- सर्वज्ञाता – सभी का ज्ञाता, जो सभी जीवों और घटनाओं का ज्ञाता हैं।
- सर्वशक्तिमान – सर्वशक्तिमान, जो सर्वशक्तिमान और सभी शक्तियों के स्वामी हैं।
- सर्वज्ञानी – सभी ज्ञान का ज्ञाता, जो सभी ज्ञान का धारणकर्ता हैं।
- सर्वधर्मपालक – सभी धर्मों का पालन करने वाला, जो सभी धर्मों का सम्मान करता है।
- साधकवंद्य – साधक के लिए पूज्य, जो साधकों के लिए आदर्श और पूजनीय हैं।
ये नाम हनुमान जी की महानता, भक्ति, और शक्ति को दर्शाते हैं और उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करते हैं।
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