एक समय की बात है, घने जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था। एक दिन दोपहर को वह खाना खाने के बाद एक पेड़ की छांव में सो रहा था।
उसी समय, एक छोटा-सा चूहा वहाँ खेलते-खेलते शेर के ऊपर चढ़ गया। शेर की नींद टूट गई और वह बहुत गुस्से में आ गया। उसने झपटकर चूहे को अपने बड़े पंजों से पकड़ लिया और दहाड़ते हुए बोला:
“नालायक! तू मेरी नींद क्यों खराब कर रहा है? अब मैं तुझे खा जाऊँगा!”
चूहा बहुत डर गया और कांपते हुए बोला,
“महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने अनजाने में आपको जगा दिया। अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं कभी आपकी मदद करूंगा।”
शेर हँस पड़ा,
“तू? एक छोटा सा चूहा मेरी मदद करेगा? हा हा हा! लेकिन चल, आज तुझे छोड़ देता हूँ।”
शेर ने दया दिखाते हुए चूहे को छोड़ दिया। चूहा खुशी-खुशी वहां से भाग गया।
कुछ दिनों बाद, शेर जंगल में घूम रहा था कि शिकारी ने उसे जाल में फंसा लिया। शेर बहुत जोर-जोर से दहाड़ने लगा।
शेर की आवाज सुनकर वही चूहा दौड़ता हुआ आया। उसने शेर को देखा और बोला,
“महाराज! आप चिंता न करें, मैं अभी आपकी मदद करता हूँ।”
चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को कुतरना शुरू किया और थोड़ी ही देर में पूरा जाल काट दिया। शेर आज़ाद हो गया।
शेर चूहे से बहुत खुश हुआ और बोला,
“धन्यवाद दोस्त! आज तुमने साबित कर दिया कि छोटा होना कोई कमजोरी नहीं है। तुम्हारा उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा।”
दोनों दोस्त बन गए और जंगल में खुशी-खुशी रहने लगे।
सीख:
“कभी किसी को छोटा या कमजोर मत समझो। समय आने पर हर किसी की अहमियत होती है।”
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