एक गांव में रामू नाम का एक किसान रहता था। उसके पास एक भोला-भाला गधा था, जिसका नाम था गप्पू। रामू हर दिन गप्पू को खेत में काम करने के लिए ले जाता और दिन भर मेहनत करवाता। गप्पू बहुत सीधा और मेहनती था, पर वह थोड़ा भोला भी था।
रामू हमेशा उसे ज्यादा बोझ ढोने को कहता, और गप्पू बिना शिकायत किए सब कुछ सहता। गांव के लोग अक्सर कहते,
“रामू, गप्पू को थोड़ा आराम भी दे दिया करो।”
पर रामू हँसकर टाल देता, “अरे ये तो जानवर है, काम के लिए ही तो बना है!”
एक दिन रामू को बाजार जाना था। उसने गप्पू की पीठ पर बहुत सारा सामान लाद दिया और बाजार की ओर चल पड़ा। रास्ता लंबा और कठिन था। गप्पू बहुत थक गया, लेकिन वह चुपचाप चलता रहा। तभी रास्ते में एक नदी आई। पुल टूटा हुआ था, और नदी पार करने के लिए गप्पू को पानी में उतरना पड़ा।
पानी गहरा था, और भारी बोझ के कारण गप्पू डगमगा गया। रामू घबरा गया, लेकिन गप्पू ने हिम्मत दिखाई और धीरे-धीरे नदी पार कर गया। रामू बहुत खुश हुआ।
बाजार पहुंचकर रामू ने सब सामान बेच दिया और खूब मुनाफा कमाया। लौटते समय वह सोच में पड़ गया – “गप्पू सचमुच बहुत भरोसेमंद है। मैंने इसे हमेशा काम ही करवाया, कभी इसे प्यार नहीं दिया।”
घर लौटते ही रामू ने गप्पू को गाजर, चना और ढेर सारा चारा खिलाया। पहली बार गप्पू ने रामू की पीठ पर प्यार से सिर रगड़ा, जैसे वो कह रहा हो, “धन्यवाद मालिक!”
शिक्षा: जो हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा रहता है, उसका सम्मान और प्यार करना चाहिए। चाहे वह इंसान हो या जानवर।
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