एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक नन्हा हाथी रहता था। वह बहुत ही भोला और प्यारा था। लेकिन उसकी एक परेशानी थी — उसके कोई दोस्त नहीं थे।
हाथी अकेलापन महसूस करता था, इसलिए उसने सोचा, “मुझे भी एक अच्छा दोस्त बनाना चाहिए।” वह जंगल में निकल पड़ा दोस्त की तलाश में।
सबसे पहले उसकी मुलाकात एक बंदर से हुई। हाथी ने कहा, “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?”
बंदर ने हँसते हुए कहा, “मैं तो पेड़ों पर झूलता हूँ और उछलता-कूदता हूँ। तुम बहुत भारी हो, मेरे साथ नहीं खेल सकते।”
हाथी दुखी होकर आगे बढ़ गया। फिर उसकी मुलाकात एक खरगोश से हुई। हाथी ने वही सवाल दोहराया।
खरगोश बोला, “तुम बहुत बड़े हो। मैं तो छोटे बिलों में रहता हूँ। हम दोस्त कैसे बन सकते हैं?”
हाथी और भी उदास हो गया। फिर उसे हिरण मिला, लेकिन वही जवाब मिला — “तुम बहुत बड़े हो, हम साथ नहीं खेल सकते।”
हाथी थक हारकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी जंगल में हलचल मच गई। शेर जंगल में आ गया था और सभी जानवर डरकर भागने लगे।
शेर ने छोटे जानवरों को पकड़ना शुरू कर दिया। सब घबरा गए। हाथी ने देखा कि उसके सारे जानवर डर से कांप रहे हैं। वह सीधा शेर के पास गया और ज़ोर से चिंघाड़ा।
शेर डर गया, क्योंकि हाथी बहुत बड़ा और ताकतवर था। शेर वहाँ से भाग गया।
अब सभी जानवर धीरे-धीरे लौटे। बंदर, खरगोश और हिरण भी आए और बोले, “हाथी भाई, आज तुमने हमारी जान बचाई। हमें माफ़ करना, हम तुम्हारे सच्चे दोस्त नहीं बन पाए।”
हाथी मुस्कराया और कहा, “सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे।”
शिक्षा: कभी भी किसी को उसके आकार या रूप से मत आँको। सच्चा दोस्त वही होता है जो ज़रूरत के समय काम आए।
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