कहानी का शीर्षक: कौआ और चालाक लोमड़ी
एक समय की बात है, एक जंगल में एक काला कौआ रहता था। एक दिन वह एक रोटी का टुकड़ा लेकर पेड़ की डाल पर बैठा था और उसे खाने ही वाला था।
उसी समय वहाँ से एक चालाक लोमड़ी गुज़र रही थी। जैसे ही उसने कौए की चोंच में रोटी देखी, वह उसका स्वादिष्ट भोजन चुराने की योजना बनाने लगी।
लोमड़ी ने कौए से कहा,
“अरे वाह कौआ जी! आप कितने सुंदर लग रहे हैं। आपका रंग तो इतना चमकदार है कि सूरज भी शर्मा जाए। सुना है आपकी आवाज भी बहुत मधुर है। क्या आप मेरे लिए कुछ गाकर सुनाएंगे?”
कौआ बहुत खुश हो गया। उसने सोचा, “लोमड़ी मेरी तारीफ कर रही है, तो मुझे जरूर गाना चाहिए।”
जैसे ही कौआ ने अपनी चोंच खोली, रोटी नीचे गिर गई। लोमड़ी ने झट से रोटी उठाई और मुस्कराते हुए बोली,
“वाह कौआ जी, रंग तो अच्छा है लेकिन अक्ल नहीं! धन्यवाद आपके गाने का और इस स्वादिष्ट रोटी का।”
इतना कहकर लोमड़ी वहाँ से चली गई और कौआ पछताता रह गया।
सीख / नैतिक शिक्षा:
झूठी तारीफों में नहीं आना चाहिए।
चतुराई से बात करने वालों से सावधान रहना चाहिए।
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