एक गाँव में एक अमीर सेठ रहता था। उसके पास एक बड़ा सा घर और एक बगीचा था। उस घर में दो जानवर रहते थे – एक वफ़ादार कुत्ता और एक मेहनती गधा।
कुत्ते का काम था घर की रक्षा करना, और गधे का काम था सेठ का सामान ढोना, जैसे अनाज की बोरियां या लकड़ियाँ।
कुत्ता सेठ के घर में आराम से रहता था। उसे अच्छा खाना मिलता था और सब उसे प्यार से सहलाते थे।
वहीं गधा बाहर बंधा रहता था, सारा दिन काम करता, और केवल सूखी घास ही खाता था।
गधा ये देखकर सोचने लगा कि कुत्ता तो बिना काम के मौज कर रहा है, और मैं दिन भर मेहनत करने के बाद भी भूखा रह जाता हूँ। उसे जलन होने लगी।
एक दिन गधे ने सोचा –“अगर मैं भी कुत्ते जैसा बन जाऊँ, तो मुझे भी वैसा ही सम्मान मिलेगा।”
रात को सब सो गए। चाँदनी रात थी। सेठ का पूरा परिवार गहरी नींद में था। अचानक गधे को कुछ हलचल सुनाई दी। उसने बिना कुछ सोचे, जोर-जोर से रेंकना शुरू कर दिया, ताकि लोगों को लगे कि वह भी पहरेदारी कर रहा है।
कुत्ता उसे रोकना चाहता था, पर गधा नहीं माना। उसकी तेज आवाज से पूरा घर जाग गया।
सेठ और नौकर बाहर आए, लेकिन वहां कोई चोर नहीं था।
जब उन्हें पता चला कि गधा यूँ ही शोर मचा रहा था, तो सेठ गुस्से में भर गया।
उसने कहा, “यह गधा तो बेमतलब हल्ला करता है, इससे हमारी नींद खराब हो गई।”
सेठ ने नौकर से कहा कि गधे को खूँटे से खोलकर खेतों में भेज दो, क्योंकि वह अपने काम में ध्यान नहीं दे रहा।
गधा पछताया, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
🌟 शिक्षा
- हर किसी की अपनी भूमिका होती है।
- दूसरों की नकल करना हमेशा सही नहीं होता।
- हमें अपने काम में ईमानदारी और समझदारी से पेश आना चाहिए।
- दूसरों जैसा बनने की बजाय, स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए।
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