बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक राक्षस रहता था। वह बहुत ताकतवर था, लेकिन उससे भी ज्यादा लालची था। उसे हमेशा और ज्यादा सोना, और ज्यादा खाना चाहिए होता था।
राक्षस हर रोज़ जंगल के जानवरों से खाने की चीजें छीन लिया करता था। जो जानवर उसे खाना न देते, वह उन्हें परेशान करता।
एक दिन, जंगल के सभी जानवर इकट्ठा होकर बोले,
“अगर हम इसे रोज खाना देते रहेंगे, तो एक दिन हम सब भूखे मर जाएंगे। हमें कोई उपाय खोजना होगा।”
तभी एक चतुर खरगोश बोला, “मेरे पास एक योजना है। कल मुझे राक्षस के पास जाने दो।”
अगले दिन, खरगोश एक छोटी सी खाली हांड़ी लेकर राक्षस के पास गया।
राक्षस गरजकर बोला, “इतना कम खाना! क्या तुम मुझे भूखा मारना चाहते हो?”
खरगोश ने डरते हुए कहा, “महाराज! मैंने आपके लिए बहुत स्वादिष्ट खाना तैयार किया था, लेकिन जैसे ही मैं उसे ला रहा था, एक और राक्षस आया और सारा खाना छीन लिया। उसने कहा कि वह आपसे ज्यादा ताकतवर है।”
यह सुनकर राक्षस का घमंड घायल हो गया। उसने गुस्से में कहा, “कहाँ है वह दूसरा राक्षस? मुझे ले चलो उसके पास!”
खरगोश राक्षस को एक झील के किनारे ले गया और बोला, “महाराज, वह राक्षस इस झील में रहता है। झील में झाँकिए, आपको उसका चेहरा दिखेगा।”
राक्षस ने झील में झाँका, और उसे वहाँ अपना ही प्रतिबिंब दिखाई दिया। लेकिन लालची और मूर्ख राक्षस समझ नहीं सका कि वह उसकी ही परछाईं है। उसने गुस्से में कूदकर झील में हमला कर दिया और डूब गया।
सभी जानवर बहुत खुश हुए और खरगोश की बुद्धिमानी की सराहना की।
सीख: लालच और घमंड का अंत बुरा होता है। हमें हमेशा दूसरों का हक छीनने के बजाय मिल-जुलकर रहना चाहिए।
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