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Home » Makar Sankranti Essay : मकर संक्रांति पर रोचक निबंध हिन्दी में

Makar Sankranti Essay : मकर संक्रांति पर रोचक निबंध हिन्दी में

July 29, 2024 by Antesh Singh Leave a Comment

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मकर संक्रांति भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व में से एक है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। मकर संक्रांति की विशेषता यह है कि यह एक ऐसा पर्व है जो अपनी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

कंटेंट की टॉपिक

  • मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
  • सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
  • कृषि आधारित महत्व
  • स्वास्थ्य और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
  • मकर संक्रांति की वर्तमान स्थिति

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मकर संक्रांति का दिन सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस दिन से सूर्य की गति उत्तरी गोलार्ध की ओर होती है, जिसे उत्तरायण कहते हैं। इस अवधि को हिन्दू धर्म में शुभ मानते हैं और इसे पुण्यकाल का समय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्त होता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

मकर संक्रांति का पर्व भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी दर्शाता है। यह पर्व विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे “खिचड़ी” के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से खिचड़ी पकाई जाती है और इसे गरीबों के बीच बांटा जाता है। इस परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि खिचड़ी का सेवन करने से सभी बुराइयां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।

महाराष्ट्र में इस पर्व को “मकर संक्रांति” या “तिलगुल” के नाम से जाना जाता है। यहां लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ से बने लड्डू देकर “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला” की शुभकामनाएं देते हैं। इस परंपरा के पीछे यह मान्यता है कि तिल और गुड़ का सेवन करने से जीवन में मिठास और सुख-शांति बनी रहती है।

पश्चिम बंगाल में इस पर्व को “पोश संक्रांति” कहा जाता है। बंगाल में इस दिन विशेष रूप से पायस (खीर) बनाई जाती है और इसे परिवार और मित्रों के बीच बांटा जाता है। गुजरात और राजस्थान में इस पर्व के साथ रंग-बिरंगी पतंगबाजी की परंपरा जुड़ी हुई है। लोग ऊंचे आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं और इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं।

कृषि आधारित महत्व

मकर संक्रांति का कृषि आधारित महत्व भी अत्यधिक है। इस समय की फसल कटाई का मौसम होता है, जिसे किसान अपने खेतों में नई फसल की खुशी में मनाते हैं। गेहूं, जौ, मूँग, तिल, सरसों और अन्य फसलों की कटाई का यह समय होता है। किसान अपने खेतों में नये पौधों की बुवाई भी इस समय करते हैं और इस अवसर को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस पर्व पर किसान नई फसल की शुरुआत को शुभ मानते हैं और इसके लिए पूजा-अर्चना करते हैं।

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स्वास्थ्य और पर्यावरणीय दृष्टिकोण

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने की परंपरा का एक वैज्ञानिक आधार भी है। सर्दियों के मौसम में तिल और गुड़ का सेवन शरीर को गर्मी प्रदान करता है और सर्दियों की ठंडक से बचाता है। इसके अलावा, तिल और गुड़ में आयरन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।

मकर संक्रांति की वर्तमान स्थिति

आज के समय में मकर संक्रांति का पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए मनाया जाता है, बल्कि यह सामाजिक मिलन और परस्पर प्रेम को बढ़ावा देने का भी अवसर प्रदान करता है। लोग इस दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, विभिन्न खेल-कूद में भाग लेते हैं और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होते हैं।

संक्षेप में, मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, प्रेम और सौहार्द की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। यह पर्व हमें हमारी जड़ों से जुड़ने और हमारी पारंपरिक परंपराओं को जीवित रखने की प्रेरणा देता है।


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Filed Under: Lekh Tagged With: Education, Essay in Hindi, Lekh

About Antesh Singh

Antesh Singh एक फुल टाइम ब्लॉगर है जो बैंकिंग, आधार कार्ड और और टेक रिलेटेड आर्टिकल लिखना पसंद करते है।

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