एक गाँव में एक समझदार मुर्गी रहती थी। उसका नाम था “चिंकी”। चिंकी हर दिन खेतों में दाना चुगने जाती और शाम को अपने छोटे-छोटे अंडों को सेती। वह मेहनती, समझदार और सतर्क मुर्गी थी।
एक दिन, गाँव में एक लोमड़ी आई। वह बहुत चालाक और भूखी थी। उसने सोचा, “अगर मैं इस मुर्गी को पकड़ लूं तो बढ़िया दावत हो जाएगी।” वह धीरे-धीरे झाड़ियों में छिपकर मुर्गी के पास पहुँची और बोली, “हे सुंदर मुर्गी! तुम्हारी आवाज़ बहुत मधुर है, क्या तुम मुझे एक गीत सुनाओगी?”
चिंकी ने तुरंत उसकी चालाकी समझ ली। वह बोली, “ठीक है, लेकिन पहले तुम अपनी आँखें बंद करके ध्यान से सुनो।” जैसे ही लोमड़ी ने आँखें बंद कीं, चिंकी फुर्ती से उड़कर पेड़ की एक डाल पर जा बैठी और जोर-जोर से बोली, “अरे मूर्ख लोमड़ी! तू मुझे खा नहीं सकती, मैं इतनी आसानी से फँसने वाली नहीं हूँ।”
लोमड़ी शर्मिंदा होकर वहाँ से भाग गई।
उस दिन के बाद, गाँव के सभी जानवरों ने चिंकी की चतुराई की खूब तारीफ की और बच्चे उससे यह सीखने लगे कि विपरीत परिस्थिति में भी समझदारी से काम लेना कितना ज़रूरी होता है।
शिक्षा: समझदारी और सतर्कता से हम किसी भी खतरे से खुद को बचा सकते हैं।
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