एक समय की बात है, एक घना जंगल था जहाँ तरह-तरह के पक्षी और जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक पेड़ पर तोता और मैना साथ रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा मिलकर बातें करते, खाते और खेलते थे।
तोता बहुत होशियार और समझदार था, जबकि मैना बहुत चुलबुली और हँसमुख थी। दोनों एक-दूसरे की मदद हमेशा करते थे। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने देखा कि तोता और मैना बहुत सुंदर हैं, तो उसने सोचा कि क्यों न इन्हें पकड़कर शहर में बेच दूँ।
शिकारी ने जाल बिछाया और उसमें दाना डाल दिया। तोता ने जाल देखा और तुरंत समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। उसने मैना को रोका और कहा,
“मैना बहन, यह दाना खतरनाक लग रहा है। यह किसी शिकारी का जाल हो सकता है।”
लेकिन मैना को बहुत भूख लगी थी। उसने कहा,
“तोता भाई, तुम हमेशा डरते हो। मैं तो खा ही लेती हूँ।”
मैना जैसे ही दाना खाने गई, वह जाल में फँस गई। शिकारी आ गया और उसे पकड़ने लगा। तोता बहुत परेशान हुआ। उसने तुरंत एक तरकीब सोची। वह उड़कर जंगल के सभी पक्षियों के पास गया और मदद मांगी। सभी पक्षी इकठ्ठा हुए और शिकारी पर झपट पड़े। शिकारी डर के मारे भाग गया और मैना को छोड़कर चला गया।
मैना बहुत शर्मिंदा हुई और तोते से माफी मांगी,
“तोता भाई, मुझे माफ कर दो। मुझे तुम्हारी बात माननी चाहिए थी।”
तोते ने मुस्कुरा कर कहा,
“कोई बात नहीं मैना बहन, असली दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे।”
उस दिन के बाद से मैना कभी भी बिना सोचे कोई काम नहीं करती थी और दोनों फिर से मिलकर खुश रहने लगे।
शिक्षा (Moral of the story): सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं और किसी भी परेशानी में साथ खड़े रहते हैं। साथ ही, बिना सोचे समझे कोई भी काम नहीं करना चाहिए।
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