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Home » Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani

Bhagwan Shiv ki Janam ki kahani

August 27, 2024 by Antesh Singh Leave a Comment

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भगवान शिव के जन्म की कथा के बारे में विभिन्न पुराणों में कई कथाएँ मिलती हैं, जो उनकी अनंत शक्तियों और विशेषताओं को उजागर करती हैं। यहाँ पर भगवान शिव के जन्म की विस्तृत कथा दी जा रही है, जो लगभग संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत की गई है।


कंटेंट की टॉपिक

  • भगवान शिव के जन्म की कथा
    • 1. आदिकाल का सृजन
    • 2. सती का यज्ञ और उसकी मृत्यु
    • 3. सती का पुनर्जन्म
    • 4. पार्वती की तपस्या
    • 5. भगवान शिव की स्वीकृति
    • 6. शिव और पार्वती का विवाह
    • 7. सती का अंतिम दर्शन और शिव की स्थिति
    • 8. शिव और पार्वती का परिवार
    • 9. शिव की अन्य अवतार कथाएँ
    • 10. भगवान शिव के विभिन्न रूप
    • 11. भगवान शिव की महिमा

भगवान शिव के जन्म की कथा

1. आदिकाल का सृजन

भविष्यपुराण और शिवपुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में केवल ब्रह्मा और विष्णु ही थे। सृष्टि के निर्माण और पालन के लिए एक शक्तिशाली और विध्वंसक शक्ति की आवश्यकता थी, जो भगवान शिव के रूप में प्रकट हुई। शिव का जन्म एक दिव्य योजना के तहत हुआ, जिससे कि सृष्टि की हर स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

2. सती का यज्ञ और उसकी मृत्यु

सती, जो दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं, भगवान शिव की पहली पत्नी थीं। एक बार दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ आयोजित किया, जिसमें भगवान शिव को निमंत्रित नहीं किया गया। सती ने अपने पति शिव के अपमान को सहन नहीं किया और अपने पिता के यज्ञ में जाने का निर्णय लिया।

सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाकर देखा कि वहां भगवान शिव का कोई सम्मान नहीं हो रहा है। इस अपमान को सहन नहीं कर पाने के कारण सती ने आत्मदाह कर लिया। सती की मृत्यु से भगवान शिव अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने उग्र रूप धारण किया।

3. सती का पुनर्जन्म

सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव गहरे शोक में डूबे हुए थे। सती का पुनर्जन्म हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती के घर हुआ, जहां उन्हें पार्वती के नाम से जाना गया। पार्वती की जन्म कथा भी अत्यंत दिलचस्प है, क्योंकि उनका जीवन भगवान शिव के साथ पुनः मिलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

4. पार्वती की तपस्या

पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। वे कई वर्षों तक कठोर तपस्या करती रहीं, भोजन और पानी का परित्याग कर दिया और केवल ध्यान में मग्न रहीं। उनकी तपस्या इतनी कठिन थी कि यहां तक कि अन्य देवी-देवता भी उनकी भक्ति और समर्पण से प्रभावित हुए।

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5. भगवान शिव की स्वीकृति

पार्वती की तपस्या को देखकर भगवान शिव ने उनकी भक्ति को स्वीकार किया और उन्हें दर्शन दिए। उन्होंने पार्वती से कहा कि उनकी तपस्या और भक्ति ने उन्हें प्रभावित किया है और अब वे उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे।

6. शिव और पार्वती का विवाह

भगवान शिव और पार्वती का विवाह एक भव्य और दिव्य आयोजन था। इस विवाह के लिए, देवी-देवताओं और ब्रह्मा-विष्णु को आमंत्रित किया गया था। भगवान शिव ने अपने बारात को हिमालय से लेकर शादी के स्थान तक भेजा। विवाह समारोह दिव्य आनंद और प्रेम से भरा हुआ था, जिसमें सभी देवताओं ने भाग लिया।

7. सती का अंतिम दर्शन और शिव की स्थिति

सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने उनकी राख को संभाल लिया और अति दुखी हुए। सती की आत्मा को शांति देने के लिए, भगवान शिव ने अपने अति उग्र रूप को शांत किया और पुनः सती के पुनर्जन्म के बाद पार्वती के रूप में उनकी उपस्थिति को स्वीकार किया।

8. शिव और पार्वती का परिवार

भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश और कार्तिकेय थे। गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, और कार्तिकेय, जो युद्ध और विजय के देवता हैं। इन दोनों पुत्रों ने भगवान शिव और पार्वती के परिवार को समृद्ध और शक्तिशाली बनाया।

9. शिव की अन्य अवतार कथाएँ

भगवान शिव के कई अवतार कथाएँ भी प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान शिव का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत और रत्नों में भगवान शिव भी शामिल थे।

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10. भगवान शिव के विभिन्न रूप

भगवान शिव के विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है, जैसे कि नटराज (नृत्य के देवता), भोलेनाथ (सहजता और भक्ति के देवता), और त्रिपुरारी (त्रि-नगरों के नाशक)। उनके तीसरे नेत्र, त्रिशूल और डमरू उनकी शक्ति और विशेषताओं का प्रतीक हैं।

11. भगवान शिव की महिमा

भगवान शिव की महिमा उनके विभिन्न रूपों, शक्तियों और कार्यों में प्रकट होती है। वे सृजन, पालन और संहार के देवता हैं और उनका हर रूप एक विशेष कार्य और उद्देश्य को पूरा करता है। उनके भक्तों के लिए, वे एक आदर्श और प्रेरणादायक शक्ति हैं जो भक्ति, तपस्या और सच्चे प्रेम को महत्व देते हैं।

भगवान शिव की जन्म कथा न केवल उनके दिव्य गुणों को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक साधारण तपस्या और भक्ति के माध्यम से बड़े-बड़े कार्य किए जा सकते हैं। उनकी कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और दिव्यता की ओर बढ़ सकते हैं।


यह कथा भगवान शिव के जन्म और उनके विभिन्न रूपों का एक संक्षिप्त और सम्पूर्ण विवरण है। आप इस कथा को और भी विस्तार से जानने के लिए पुराणों और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं।

Filed Under: Hindu Gods

About Antesh Singh

Antesh Singh एक फुल टाइम ब्लॉगर है जो बैंकिंग, आधार कार्ड और और टेक रिलेटेड आर्टिकल लिखना पसंद करते है।

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