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भारत का कुल क्षेत्रफल
भारत, जिसे विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश माना जाता है, अपने विशाल क्षेत्रफल के कारण वैश्विक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत का कुल क्षेत्रफल 3,287,263 वर्ग किलोमीटर (1,269,219 वर्ग मील) है। यह भूभाग न केवल इसे एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से में एक प्रमुख स्थान प्रदान करता है।
भारत का विशाल क्षेत्रफल इसे एक ऐसी भूमि बनाता है जहाँ विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक विशेषताएँ, जैसे कि हिमालय की ऊँची चोटियाँ, गंगा-ब्रह्मपुत्र के उपजाऊ मैदान, थार का रेगिस्तान, और विस्तृत तटीय क्षेत्र मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत की जलवायु में भी अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय से लेकर शीतोष्ण और अल्पाइन जलवायु तक फैली हुई है।
इस विभिन्नता का प्रभाव भारत की संस्कृति और भाषाओं पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यहाँ विभिन्न धर्म, परंपराएँ, और जीवनशैलियाँ सह-अस्तित्व में हैं, जो इसे एक अद्वितीय और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत प्रदान करती हैं। विभिन्न भाषाएँ और बोलियाँ, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती हैं, इस सांस्कृतिक विभिन्नता को और भी गहरा बनाती हैं।
भारत का क्षेत्रफल न केवल इसके प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रभावित करता है, बल्कि इसका महत्व इसके रणनीतिक स्थान के कारण भी है। दक्षिण एशिया में इसकी भौगोलिक स्थिति इसे राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती है।
इस निबंध में हम भारत के कुल क्षेत्रफल के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से विश्लेषण करेंगे, जिसमें भौगोलिक विभाजन, जलवायु, वन्य जीवन, और भूमि उपयोग शामिल हैं।
2. भौगोलिक विभाजन
भारत का भूभाग अत्यधिक विविध और जटिल है। इसे पांच मुख्य भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:
a. उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र
इस क्षेत्र में हिमालय पर्वत श्रंखला शामिल है, जो उत्तर में भारत और तिब्बत के बीच एक प्राकृतिक सीमा बनाती है। हिमालय का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 16% है। हिमालय की उच्चतम चोटियों में से एक, कंचनजंगा, भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह क्षेत्र न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जल संसाधनों और जलवायु पर भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव है।
b. गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान
भारत का गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान देश के सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र उत्तर भारत में स्थित है और यह गंगा, यमुना, और ब्रह्मपुत्र नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों के माध्यम से सिंचित होता है। इस क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल भारत के कुल भूभाग का लगभग 23% है। यह कृषि के लिए अत्यधिक अनुकूल है और यहां चावल, गेहूं, और गन्ना की खेती प्रमुखता से होती है।
c. प्रायद्वीपीय पठार
भारत का प्रायद्वीपीय पठार, जिसे दक्कन का पठार भी कहा जाता है, देश के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह क्षेत्र भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 43% हिस्सा बनाता है और यह पुराने, कठोर चट्टानों से बना है। यह क्षेत्र खनिज संपदा में समृद्ध है, और यहां लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, और अन्य धातुओं का व्यापक रूप से खनन किया जाता है।
d. पश्चिमी और पूर्वी घाट
पश्चिमी और पूर्वी घाट पर्वतमालाएँ प्रायद्वीपीय पठार के दोनों किनारों पर स्थित हैं। ये पर्वतमालाएँ भारत के पर्यावरणीय विभिन्नता में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं और यह भारत के जैव विविधता के हॉटस्पॉट के रूप में जानी जाती हैं। पश्चिमी घाट का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 5% है, और यह मानसून के मौसम में महत्वपूर्ण वर्षा का केंद्र होता है।
e. तटीय क्षेत्र और द्वीप समूह
भारत की तटीय रेखा लगभग 7,516 किलोमीटर लंबी है, जो इसे विशाल समुद्री क्षेत्र प्रदान करती है। यह तटीय क्षेत्र भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 7% हिस्सा बनाते हैं। तटीय क्षेत्र में समुद्री बंदरगाह, मछली पालन, और पर्यटन का प्रमुख योगदान है। इसके अलावा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह भी भारत का हिस्सा हैं, जिनका क्षेत्रफल क्रमशः 8,249 वर्ग किलोमीटर और 32 वर्ग किलोमीटर है।
3. जलवायु और पर्यावरण
भारत का विशाल क्षेत्रफल विभिन्न प्रकार की जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों को समेटे हुए है। उत्तरी हिमालय क्षेत्र में अल्पाइन जलवायु होती है, जबकि गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान में उपोष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है। दक्कन का पठार और पश्चिमी घाट क्षेत्र उष्णकटिबंधीय जलवायु का अनुभव करते हैं, जहां गर्मी के मौसम में तापमान उच्चतम होता है। तटीय क्षेत्रों में समुद्री जलवायु होती है, जो वर्षभर में अपेक्षाकृत समांतर तापमान बनाए रखती है।
भारत का विविध भूभाग और जलवायु यहां की जैव विविधता के लिए अनुकूल है। यहां विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिनमें से कई विश्व स्तर पर दुर्लभ और लुप्तप्राय हैं। भारत के वन क्षेत्र, जो कुल क्षेत्रफल का लगभग 21% हिस्सा बनाते हैं, यहां के पर्यावरणीय संतुलन और जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
4. वन्य जीवन और जैव विविधता
भारत का विशाल क्षेत्रफल उसे विश्व की सबसे अधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक बनाता है। यहां विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं, जिनमें वन, घास के मैदान, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, और पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
भारत के राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य, जैसे कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, सुंदरबन, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, और कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य, विश्वप्रसिद्ध हैं। यहां के संरक्षित क्षेत्रों में बाघ, हाथी, गैंडा, और विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
भारत की वन्यजीव विविधता का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है, और इसके लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयास किए जा रहे हैं। भारत की सरकार ने वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफैंट प्रमुख हैं।
5. भूमि उपयोग और कृषि
भारत का कुल क्षेत्रफल मुख्य रूप से कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है। भारत की कृषि भूमि लगभग 60% है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। यहां चावल, गेहूं, गन्ना, दलहन, और तिलहन की प्रमुखता से खेती की जाती है। इसके अलावा, बागवानी, डेयरी, और मत्स्य पालन भी भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
भारत में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैं, जैसे कि अल्यूवियल मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, और लेटराइट मिट्टी। यह विभिन्नता भारत की कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां की सिंचाई प्रणाली भी महत्वपूर्ण है, जिसमें नहरें, ट्यूबवेल, और वर्षा पर आधारित सिंचाई शामिल है।
6. शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
भारत का क्षेत्रफल तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण बदल रहा है। बड़े शहरों जैसे कि मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, और चेन्नई ने तेजी से विकास किया है, और इन शहरों का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है। भारत का शहरी क्षेत्र अब देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 3% है, लेकिन इस क्षेत्र में देश की एक बड़ी आबादी निवास करती है।
औद्योगिकीकरण के कारण भारत के विभिन्न हिस्सों में नए उद्योग और कारखाने स्थापित हो रहे हैं। ये औद्योगिक क्षेत्र देश की आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण भूमि के उपयोग में बदलाव हो रहा है, जो प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर प्रभाव डाल रहा है।
7. पर्यावरणीय चुनौतियाँ और संरक्षण
भारत का विशाल क्षेत्रफल होने के बावजूद यहां कई पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी हैं। वनों की कटाई, भूमि क्षरण, जल संसाधनों की कमी, और वायु और जल प्रदूषण प्रमुख चुनौतियाँ हैं। भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक विकास ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन कई योजनाएँ और कार्यक्रम चला रहे हैं। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environment Protection Act) जैसे कानून और नीतियाँ भारत के पर्यावरणीय संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
8. निष्कर्ष
भारत का कुल क्षेत्रफल 3,287,263 वर्ग किलोमीटर होने के कारण यह न केवल भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक, आर्थिक, और राजनीतिक बहुरूपता का भी आधार है। भारत का विशाल भूभाग उसे प्राकृतिक संसाधनों, जलवायु, और जैव विविधता के मामले में अत्यधिक समृद्ध बनाता है।
हालांकि, इस विशाल भूभाग के साथ-साथ पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं, जिनसे निपटने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। भारत का विकास और उसकी पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है,
जिसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।अंततः, भारत का क्षेत्रफल न केवल उसकी भौगोलिक पहचान को दर्शाता है, बल्कि यह देश की बहुरूपता और इसकी अद्वितीयता का प्रतीक भी है। यह विशाल भूभाग भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का स्रोत है और इसे संरक्षित और संवर्धित करने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
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